Sunday, 4 August 2013

हर रात का सफ़र
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हर रात कोशिश करके तो  सुला देती   हैं मुझे
एक मेरी ऑंखें हैं जो ख्वाब में खोजती हैं तुझे

सूरज भी अक्सर सो जाता हैं साँझ की धूप में
एक चांदनी हैं जो चाँद से छिपके घूरती हैं मुझे

रामकिशोर उपाध्याय 

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