Saturday, 6 July 2013

एक दास्तान -------------


ये कैसी दास्तान लिख रहो हो तुम इश्क  की
ना होठों में जुम्बिश है, न कलम चल  रही है

फिर भी हैं चर्चा आम तुमको हमको लेकर
लगता हैं आंखे से ही मस्ती  छलक रही हैं

रामकिशोर उपाध्याय

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