तेज़ आंधियों ने जला डाला प्यार का आशियाना
दिल बांस की दीवारों और फूस की छत का जो था
अश्क सूख गए उसका अक्स बनाने में
वो जालिम बार-बार चिलमन गिराता
वो प्यार नहीं सदा नफरत करते रहे
एक हम थे जो दिल में लों जगाते रहे
आओ आज फिर से जीने एक सौदा करे
एक नयी चाहत तलाशने का वायदा करे
टूटी हुयी कश्ती को ढोने से क्या फायदा
बस बेख़ौफ़ लहरों से लड़ने का इरादा करे
आओ आज फिर एक तमाशा करे
नए भाषण और जुमले ठोका करे
कुंद खंजर को फिर से तराशा करे
धीरे से लोगो की पीठ में भोंका करे
राम किशोर उपाध्याय
दिल बांस की दीवारों और फूस की छत का जो था
अश्क सूख गए उसका अक्स बनाने में
वो जालिम बार-बार चिलमन गिराता
वो प्यार नहीं सदा नफरत करते रहे
एक हम थे जो दिल में लों जगाते रहे
आओ आज फिर से जीने एक सौदा करे
एक नयी चाहत तलाशने का वायदा करे
टूटी हुयी कश्ती को ढोने से क्या फायदा
बस बेख़ौफ़ लहरों से लड़ने का इरादा करे
आओ आज फिर एक तमाशा करे
नए भाषण और जुमले ठोका करे
कुंद खंजर को फिर से तराशा करे
धीरे से लोगो की पीठ में भोंका करे
राम किशोर उपाध्याय
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