गुनाह का अक्स
उठा है फिर से आज दर्द का तूफान सोये हुए घावों से
आयी है फिर से आज घुंघरू की सदां खोये हुए पावों से
चांदनी में झुलसते ही रहे वो मेरे मासूम से जज्बात
मिला है फिर से आज मोहब्बत का पैगाम खुश्क लबों से
यहाँ डगमगाती रही कश्ती बेख़ौफ़ उस समंदर में
आया है फिर से आज साहिल का वादा उन नाखुदाओं से
मिरा दिल डूबने लगा और रूह पनाह मांगने लगी
उभरा है फिर से आज गुनाह का अक्स उन निगाहों से
राम किशोर उपाध्याय
11.04.2013
उठा है फिर से आज दर्द का तूफान सोये हुए घावों से
आयी है फिर से आज घुंघरू की सदां खोये हुए पावों से
चांदनी में झुलसते ही रहे वो मेरे मासूम से जज्बात
मिला है फिर से आज मोहब्बत का पैगाम खुश्क लबों से
यहाँ डगमगाती रही कश्ती बेख़ौफ़ उस समंदर में
आया है फिर से आज साहिल का वादा उन नाखुदाओं से
मिरा दिल डूबने लगा और रूह पनाह मांगने लगी
उभरा है फिर से आज गुनाह का अक्स उन निगाहों से
राम किशोर उपाध्याय
11.04.2013
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