मस्तिष्क में उठता बवंडर
आँखों में लहराता आसुओं का समुन्दर
अंग-प्रत्यंग में अपूर्व कोलाहल
ह्रदय में करूण क्रंदन
दिगदिगन्त होता विरह में घोर रुदन
अन्तर्मन में अप्रत्याशित उद्वेलन
धमनियों में अनियंत्रित स्पंदन
निशब्द होना ही नहीं होता
मौन ---------------.
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