Saturday, 9 February 2013

मौन


मस्तिष्क में उठता बवंडर 
आँखों में लहराता आसुओं का समुन्दर 
अंग-प्रत्यंग में अपूर्व कोलाहल 
ह्रदय में करूण क्रंदन 
दिगदिगन्त होता  विरह में घोर रुदन
अन्तर्मन में अप्रत्याशित उद्वेलन 
धमनियों में अनियंत्रित स्पंदन 
निशब्द होना ही नहीं होता 
मौन ---------------. 

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