उम्र तो मुटठी का रेत हैं, फिसलती चली जायेगी---
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शिकवे तो रहे इधर भी तुम्हे
शिकायते रही उधर भी हमे
सहेज पाया जो सुख के जितने पल
पुस्तक के पन्नों में, वही तो जीवन कहानी कही जायेगी,
जिये जो जिन्दादिली से, वही तो जिन्दगी कही जायेगी।
कुछ कदम डगमगाता चला भी
कभी डग भर के डगर तय की
घुप्प अंधेरा ,राह कठिन और पथरीला
खाई जहां ठोकरे, वही तो पहचानी राह कही जायेगी,
हो जहां मस्तक उन्नत , वही तो मंजिल कही जायेगी।
कभी दिन में चिलचिलाती धूप देखी
कभी दिन में कंपकंपाती धुंध देखी
कहो चाहे मुबारक हो साल 2012
उम्र तो मुटठी का रेत हैं, फिसलती चली जायेगी,
पकडो जितना घडी की सुई, उम्र बढती ही जायेगी ।
नान वर्ष मंगलमय हो.
ReplyDeletewah bahut sunder .......first aur second paira bahut pasand aaya .........!
ReplyDeletethis was so so so b'ful.keep blessing us with ur manuscripts!!!
ReplyDeleteधन्यवाद, ऋषभ जी व शशि जी ।
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