धैर्य की शक्ति के साथ
शौर्य की भक्ति के साथ
गर्व की मुस्कान के साथ
तू अब संकल्प मन में धार ले,
स्वप्न प्रिय को धरा पे उतार ले.
आएँगी कई अभी आंधियां भी राह में
उठेंगे कई जलजले कभी यहाँ चाह में
दृढ़ता की पहचान के साथ
तू किश्ती भंवर से अब उबार ले,
स्वप्न प्रिय को धरा पे उतार ले.
हंसेगे लोग कई हर किसी बात पे
बिछायेंगे लोग तुझे हर बिसात पे
युद्ध विजय -अभियान के साथ
तू हार को मन से अब बिसार दे,
स्वप्न प्रिय को धरा पे उतार ले.
मत रुक, बस सिर्फ चलता चल
पग से राह के कांटे हटाता चल
गंध मादक की उडान के साथ
तू ये जीवन फूलोंसे उधार ले ,
स्वप्न प्रिय को धरा पे उतार ले.
सुन्दर रचना ,हार्दिक बधाई ...
ReplyDeleteWord verification ...hataa dijiye mahoday...ok
Thanks for the encouragement.
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