दीवाली
कार्तिक अमावस की रात में
राजा रामचंद्र के स्वागत में
पूरी ही प्रजा प्रसन्न हैं
सुराज अब आसन्न हैं
अब रामजी करेंगे राज
पूरण होंगे सबके काज
यक्षों के राजा कुबेर
लगे घर धन के ढेर
मंथन से आई माँ महालक्ष्मी
अर्थ,धान्य की न होगी कमी
गणेश जी की करेंगे पूजा
दूर्वा के अंकुर मिश्री कुजा
कमल के फूल व श्रद्धा समर्पण
धूप दीप नैवेद्य मधु का अर्पण
होगी देवी प्रसन्न
पुलकित तनमन
गौतम जी आए हैं
ज्ञान सभी लाये हैं
शिर्डी में साईं के संग
श्रद्धा सबुरी की उमंग
बाटेंगे अब खील बताशे
बाजेंगे अब ढोल व ताशे
मन में फूटेंगे लड्डू
खुश है राजू व गुड्डू
ले दीपो के थाली
आई शुभ दीवाली !
आई शुभ दीवाली !
२६.१०.२०११
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